Tuesday 14 February 2012

मेरा आज का वेलेंटाइन डे




आज सुबह अस्पताल के कैंटीन से
जब मै चाय लेकर लौटा
तो सबकी तरह मैंने भी एक गुलाब लिया
सोचा कब फुर्सत मिले
कि आज मै भी इसे किसी को देकर
अपने दिल में दबी चाहत की परत
उसके सामने खोलूं
जैसे ही मौका मिला
मैंने एक खुबसूरत सी लड़की को
हॉस्पिटल के लिफ्ट कि तरफ जाते देखा
मै भी उसके पीछे घोड़े कि रफ़्तार से
सरपट भाग उसके साथ हो लिया
बड़ा ही खुश था मै,मौका भी अच्छा था
लिफ्ट मै और वो अकेले थे
जैसे ही उससे कुछ कहने के लिए
मैंने उसकी तरफ देखा
तो लगा जैसे उसकी उदास आँखें
कुछ तलाश रही हों
मेरे हाथों से गुलाब छुट गया
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ
वह खामोश रही
फिर मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और पूछा
इतनी उदास क्यूँ हो
और फिर वो ........
मेरे 
सीने से लगकर रोने लगी
मुझे एक छोटी सी नेकर और टी शर्ट दिखाई
उसकी आवाज़ जैसे कहीं खो गयी थी
मै हैरान था इतने में लिफ्ट रुकी
और कुछ लोग उसके पास आये
मैंने उनसे भी पूछा क्या बात है?
लोगों ने जवाब दिया इसका बच्चा
अब इस दुनिया में नहीं रहा
मै बोझल पलकों के साथ सोचने लगा 
 
काश मै अभी एक छोटा बच्चा बन जाता
तो भर देता शायद उसकी सुनी गोद,
मुझे भी मिलता उसकी गोद में अथाह
मात्री सुख...
मेरे अन्दर कि भावना अब बदल चुकी थी
जिसमे मै आज किसी के
सीने से नहीं कलेजे से लगा!!!!