Wednesday 13 August 2014

बेवजह......

उफनते हुए बादलों के बीच
चमकती हुई बिजली की
धुँधली सी रोशनी में
देखी थी एक झलक 
उस फ़रेब की
गोया.... वो
फिर से मुझे लूटना चाहता हो
मैंने भी कह दिया आओ
मेरे दामन की सारी ख़ुशियाँ समेटकर
पहले ही ले जा चुके हो
अब यहाँ 
दर्द के सिवाय कुछ भी न पाओगे
बेवजह ख़ाली हाथ जाओगे....

सिर्फ़ पानी हूँ.....

ऐ हवा 
मुझे उनके बारे में कुछ बता
क्या उन्हे भी रहता है 
मेरा इंतज़ार... हर रोज़ 
सूरज की पहली किरण के साथ
क्या वो भी
आकाश के टूटते हुए तारे को देखकर
माँगा करते हैं मुझे 
अपनी दुआओं में
और फिर रात को 
नींद की आग़ोश में जाते-जाते
उदास बिस्तर की सिलवटों पर
उनकी आँखों से आँसू बनकर
मै ही छलकता हूँ
अगर ऐसा है तो जा ऐ हवा जा
उनके पास मेरा ये पैग़ाम पहुँचा
उनसे कहना.....
सारे जहाँ की ख़ाक छानकर
मैंने बस उनके दिल में ही जगह पायी है
मुझे इस तरह आँसूओं के रास्ते न निकालें
क्योंकि उनकी आँखों से निकलकर मैं
सिर्फ़ पानी हूँ ।।

Wednesday 6 August 2014

माहियाँ......

माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू
मैं बनके बांवरिया उडंती फिरूँ ....
कहाँ लाज शरम मै भूल गई
तेरे रंग पिया मै घुल गई
तेरी जोगन मैं मेरा जोगी तूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू़......
बरसों से हूँ तकती राह तेरी
सून ले तो कभी तू आह मेरी
मेरी रूह तेरी हर साँस तेरी
हर लम्हा मुझे है आस तेरी
आजा के तुम्हारे साथ चलूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू....
क़तरा क़तरा मेरे अश्क़ों ने 
नदियों को समन्दर बना दिया
कुछ फ़ासले थे जो दरमियाँ 
मेरे ईश्क की आग ने मिटा दिया
अब आ मेरे हमदम आ भी जा
ऐसे न सता अब आ भी जा
अब अा भी जा २
एक और खलिस पूरी कर दे
मेरी माँग को सिंदूरी कर दे
ख़्वाहिश है मेरी बस इतनी सी 
तेरे साथ जिऊँ तेरे साथ मरूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू..