Tuesday 24 June 2014

गाना

क्या है समा क्या है फ़िज़ा
कुछ ना ख़बर कुछ ना पता
हाँ मगर एक ख़ुमारी सी इस दिल में छा गयी है
एेसा कभी होता न था
ऐसा कभी सोचा न था 
दिल में दबी थी बातें जो वो लब पे आ गई है
हाँ मगर एक .........
इन वादियों में तेरी सदाएं हैं गूँजती 
छूकर तुझे हवाएँ बरसती हैं बूँद सी
गुज़री है इक क़यामत इक और आ गई है
हाँ मगर एक .........
मेरी सासों में है ख़ुशबू बस तेरे नाम की
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी ना मेरे काम की
थी रब से जो इबादत वो काम आ गई है
हाँ मगर एक .........
पलकें झुका के देखना मुझे तेरा बार-बार
करने लगी हैं घायल इस दिल को आर-पार
तु कहाँ से मेरे हाथ की लकीरों में आ गई है
हाँ मगर एक .........

दूसरा




नज़र है सूनी-सूनी
देखे बिना तुझे,
मुझे कुछ ना सुझे
देखे बिना तुझे 
तु कहाँ है हमदम ले के मुझे भी चल
अब आ भी जाओ कटते नहीं हैं पल
मै रह ना पाऊँ देखे बिना तुझे 
नज़र है सूनी-सूनी......
थी मेरी खता क्या मुझसे जो रूठ गये
जो साथ थे देखे सपने वो टूट गये
मुझे कौन संभाले देखे बिना तुझे
नज़र है सूनी-सूनी.......
तुम मिल जाओ तो खोने ना देंगे तुम्हें 
किसी और का अब तो होने ना देंगे तुम्हें 
मैं जी ना पाऊँ देखे बिना तुझे
नज़र है सूनी-सूनी......