Thursday 25 April 2024

झूठा वादा

ना जाने कब खो गए
सारे एहसास 
एक बदगुमां सहरा में
बहुत चाहा था मैंने तुम्हें
तुमको तुमसे चुराने की कोशिश भी की
और जब तुम्हारे पास जाकर 
तुम्हारी आंखों में देखा 
तो उन में खुद को ही पाया 
उसे पल ऐसा लगा था
जैसे इस जहां की सारी खुशियां 
मेरे दामन में सिमट आई हैं 
फिर क्या हो गया तुम्हें 
तुमने मेरी तरफ एक नजर
देखना भी गवारा नहीं समझा
तुम ऐसे तो ना थे
मुझे सिर्फ यही बता देते कि 
तुमसे जिंदगी की उम्मीद लगाकर 
मैंने कौन सा गुनाह कर दिया था
आज नहीं होता दर्द मुझे,किसी भी जख्म से 
नहीं होती कोई खुशी,दुनिया की हर ख्वाहिश 
पूरी होने पर भी
समझ में नहीं आता कि 
किन यादों के सहारे अब रहूं मैं
कम से कम साथ देने का एक झूठा वादा ही कर देते
फिर मुझे छोड़कर चाहे कहीं भी चले जाते 
मैं तुम्हारे आने के इंतजार में 
पलके बछाए
हंस के पूरी जिंदगी गुजार देता...

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