Tuesday 30 April 2024

गीत

रुठी रुठी सी है मंजिले हमसे क्यों 
जिंदगी में मेरी आप आए नहीं 
हाल दिल का मेरे आप समझे नहीं 
इस नजर के इशारे को समझे नहीं 
इस कदर रूठ कर आप जाने लगे 
हम बुलाए मगर आप आए नहीं.
साथ मेरे कभी आप रहते नहीं 
प्यार की भी कोई बात,करते नहीं 
कैसे कर लूं यकीन आप मेरे हुए 
मेरे सर की कसम आप खाए नहीं 
दिल के जज्बात मुझमें ठहरते नहीं 
लड़खड़ाए कदम  गर संभलते नहीं 
कैसे मैं मान लूं कि मैं मदहोश हूं 
दिल पे बनके नशा आप छाए नहीं

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