Thursday 25 April 2024

झूठा वादा

ना जाने कब खो गए
सारे एहसास 
एक बदगुमां सहरा में
बहुत चाहा था मैंने तुम्हें
तुमको तुमसे चुराने की कोशिश भी की
और जब तुम्हारे पास जाकर 
तुम्हारी आंखों में देखा 
तो उन में खुद को ही पाया 
उसे पल ऐसा लगा था
जैसे इस जहां की सारी खुशियां 
मेरे दामन में सिमट आई हैं 
फिर क्या हो गया तुम्हें 
तुमने मेरी तरफ एक नजर
देखना भी गवारा नहीं समझा
तुम ऐसे तो ना थे
मुझे सिर्फ यही बता देते कि 
तुमसे जिंदगी की उम्मीद लगाकर 
मैंने कौन सा गुनाह कर दिया था
आज नहीं होता दर्द मुझे,किसी भी जख्म से 
नहीं होती कोई खुशी,दुनिया की हर ख्वाहिश 
पूरी होने पर भी
समझ में नहीं आता कि 
किन यादों के सहारे अब रहूं मैं
कम से कम साथ देने का एक झूठा वादा ही कर देते
फिर मुझे छोड़कर चाहे कहीं भी चले जाते 
मैं तुम्हारे आने के इंतजार में 
पलके बछाए
हंस के पूरी जिंदगी गुजार देता...

Wednesday 24 April 2024

स्पर्श

आ जाओ कभी बादल बनकर 
सावन के मौसम में 
कहीं दूर-दूर तक मेरी कल्पनाओ ने 
सोचा है,तुम्हें जिस रूप में..
अगर चाहते हो कि तुम्हें मैं भी ना देख पाऊं
तो आ जाना चुपके से किसी रोज
जब मैं गहरी नींद में रहूं 
पर इतने करीब जरूर आना कि 
मैं तुम्हारी सांसो को अपनी सांसो में
महसूस कर सकूं...
मैं बंद रखूंगा अपनी आखें
तुम्हारे आने से पहले 
तुम्हारी ख्वाहिश में....
संसार की हर वेदनाओं को 
सहने को तैयार मुझे इंतजार है 
सिर्फ तुम्हारी एक स्नेहमयी स्पर्श की...


वक्त

ये वक्त,जो बहुत ही कीमती है 
सबके लिए,खासकर तुम्हारे लिए 
जो बचाती हो,अपना हर एक पल
बड़े सलीके से...
और इधर मैं...
न जाने क्यों पागलों की तरह 
एक नाकाम सी कोशिश करता हूं 
तुम्हारे उन पलों से कुछ पल चुराने की
शायद इस चाह में,कि तुम्हारे साथ गुजारे 
कुछ पल,मुझे भी जीने के काबिल बना दे 
मगर एक अजीब सी घुटन होती है मुझे 
तुम्हारे उस एक पल के बिना
मुझे खुशी है जिस तरह से तुम 
अपना हर वक्त बचा रही हो
लेकिन मुझे नजरंदाज़ करके कहीं ऐसा ना हो 
कि तुम्हारे पास सिर्फ वक्त ही वक्त हो
और मैं दूर-दूर तक 
उनमें कहीं रहूं ही नहीं...


Tuesday 23 April 2024

सच्ची मुहब्बत

अच्छे नहीं लगता अश्क मुझे 
आंखों को न ऐसे बहने दे 
पर दिल में तेरे चाहे जो भी हो 
उल्फत का भरम अभी रहने दे
मैंने कभी तुमसे प्यार किया 
जिसका तुमसे इजहार किया
तुमने खुलकर कभी हां न कहा 
ना ही खुलकर इनकार कया
फिर दर्द मिला जो तुमसे मुझे 
मुझको ही अकेले सहने दे 
मुझे सिर्फ अकेले रहने दे 
यू लव अपना नहीं सी होती 
एक पहल किसी से की होती 
मेरे बारे में कुछ तो कहा होता 
मेरी बात किसी से की होती
उम्मीदों का पत्ता हिल जाता 
आशाओं की कलियां खिल जाती 
यह बात उन्हीं से कह देते 
हमे राह जहां से मिल जाती 
कोई पहल कभी तो की होती 
चाहती कमी कोई खल न सके 
सांचे में मेरे तुम ढल ना सके 
चाहा था तू मेरे साथ रहे 
तुम साथ हमारे चल न सके
वह प्यार जिसे सब जान सके 
तुम ऐसी मोहब्बत कर ना सके 
ना जाने किससे डरते रहे 
एक सच्ची मोहब्बत कर न सके...
तुम मुझसे मोहब्बत कर न सके....


गजल 2

मैं हूं बेताब उनका हाल ए दिल सुनने के लिए
अगर सुना दे तो दिल को करार आ जाए 
मैंने तन्हाई के लम्हे गुजारे पतझड़ में 
वो जो हंस दे तो खिजां में बहार आ जाए 
प्यार दिल में ही किया पर जुबां से कुछ न कहा 
मैं समझता था शायद उनको समझ आ जाए
अपने घर का भी पता भूल गया हूं मैं अब 
वही दिखते हैं हर जगह तो हम कहां जाएं 
उनके सजदे पे जो अरमान दिल में है मेरे 
मुझे डर है कि उन्हें देख कर ना आ जाए
प्यार इस आप पर 'सहर' मैं उनसे करता रहा 
शायद उनको भी कभी मुझपे प्यार आ जाए।

गजल

मेरी जिंदगीके वीराने सफर में,
अगर साथ दोगे मेरे साथ आओ
न समझो गंवारा अगर इस सफर को
तो गम सारे अपने मुझे देकर जाओ
तुम्हें मैं भुला दूं यह मुमकिन नहीं है
तेरे बस में हो तो मुझे भूल जाओ 
यकीनन मेरे पास आ जाओगे तुम
न अब दूर रह कर मुझे तुम सताओ
पुकारेंगी तुमको सहर मेरी नजरें 
यह पलकें झुका कर मेरे पास आओ।

सहर

'सहर' जो समंदर की 
उठती और गिरती हुई लहरों की तरह
अपने पूरे वजूद में दर्द संजोए हुए हैं 
देसी केवल वही समझता है,
महसूस करता है 
वह नहीं चाहता कि 
उसके दर्द को कोई जाने
इसलिए वह खामोश है,फिर भी
उसकी आंखों में निश्च्छल प्रेम है
उसकी आत्मा स्वच्छ है
अपने अंदर का चिराग 
वह हमेशा जलाए रखता है
अपना डर हमेशा खुला रखता है 
शायद इस चाह में कि 
कोई उसकी दिल की गहराईयों में भी
झांककर देखे कि क्या चीज़ है 'सहर'