Tuesday 30 April 2024

गजल

चांद सूरज अपने बाराती रहे 
और बहारें फुल बरसाती रहे 
हर तरफ शहनाइयां बजती रहे 
यह जमी भी झूमकर गाती रहे 
इस कदर खुशियां , हमारे साथ हो 
दुख की हर एक ही,लहर जाती रहे 
जब कभी घूंघट उठाऊं , मैं तेरा
तूं झुकाए पलकें , शरमाती रहे 
सारे बंधन तोड़ कर आ जाऊंगा 
जो तेरी मुझ तक सदा आती रहे

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