Sunday, 26 August 2012

आखिर कैसे?

कैसे भुला दूँ वो दिन 
जो तुम्हारी यादों में हमने गुजारी हैं
कितना प्यारा लगता था
वो दर्द!
जो मेरी हर सांस के साथ आता था
तुम्हारी यादों की खुशबू लिए 
एक काँटा चुभा जाता था
और वो जख्म
जो तुझसे बिछड़ने पर मिला था
उसमे तुम नज़र आती हो 
चाहता हूँ की कुछ और भी देखूं 
मगर इन आँखों को बस तुम नज़र आती हो
कैसे भुला दूँ
मै तुम्हारा प्यार 
और उससे टपकती प्यार की
हर एक बूंदें
जो मेरे दिल की बंज़र जमीन पर
आज तक
सावन बनकर बरसती रही हैं
कैसे भुला दूँ?
आखिर कैसे?  

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