Wednesday 6 August 2014

माहियाँ......

माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू
मैं बनके बांवरिया उडंती फिरूँ ....
कहाँ लाज शरम मै भूल गई
तेरे रंग पिया मै घुल गई
तेरी जोगन मैं मेरा जोगी तूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू़......
बरसों से हूँ तकती राह तेरी
सून ले तो कभी तू आह मेरी
मेरी रूह तेरी हर साँस तेरी
हर लम्हा मुझे है आस तेरी
आजा के तुम्हारे साथ चलूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू....
क़तरा क़तरा मेरे अश्क़ों ने 
नदियों को समन्दर बना दिया
कुछ फ़ासले थे जो दरमियाँ 
मेरे ईश्क की आग ने मिटा दिया
अब आ मेरे हमदम आ भी जा
ऐसे न सता अब आ भी जा
अब अा भी जा २
एक और खलिस पूरी कर दे
मेरी माँग को सिंदूरी कर दे
ख़्वाहिश है मेरी बस इतनी सी 
तेरे साथ जिऊँ तेरे साथ मरूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू..

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