Wednesday, 13 August 2014

बेवजह......

उफनते हुए बादलों के बीच
चमकती हुई बिजली की
धुँधली सी रोशनी में
देखी थी एक झलक 
उस फ़रेब की
गोया.... वो
फिर से मुझे लूटना चाहता हो
मैंने भी कह दिया आओ
मेरे दामन की सारी ख़ुशियाँ समेटकर
पहले ही ले जा चुके हो
अब यहाँ 
दर्द के सिवाय कुछ भी न पाओगे
बेवजह ख़ाली हाथ जाओगे....

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