ऐ हवा
मुझे उनके बारे में कुछ बता
क्या उन्हे भी रहता है
मेरा इंतज़ार... हर रोज़
सूरज की पहली किरण के साथ
क्या वो भी
आकाश के टूटते हुए तारे को देखकर
माँगा करते हैं मुझे
अपनी दुआओं में
और फिर रात को
नींद की आग़ोश में जाते-जाते
उदास बिस्तर की सिलवटों पर
उनकी आँखों से आँसू बनकर
मै ही छलकता हूँ
अगर ऐसा है तो जा ऐ हवा जा
उनके पास मेरा ये पैग़ाम पहुँचा
उनसे कहना.....
सारे जहाँ की ख़ाक छानकर
मैंने बस उनके दिल में ही जगह पायी है
मुझे इस तरह आँसूओं के रास्ते न निकालें
क्योंकि उनकी आँखों से निकलकर मैं
सिर्फ़ पानी हूँ ।।
No comments:
Post a Comment