Wednesday, 24 December 2014

दीवाली

वक़्त के थपेड़ों से 
और क़हर ढ़ाने वाले 
सूरज की चिलचिलाती धूप से
जूझकर हर साल की तरह
आ गई है दिवाली 
एक बार फिर से......
मगर इस बार
मेरी दिवाली भी फ़ीकी नही रहेगी
हर बार की तरह
जैसे तेज हवाओं से रहता था
मुझे बुझने का खौ़फ
मेरा वजूद मिटने का ख़ौफ़ 
पर, अब ऐसा नही होगा
क्योंकि 
रख दिया है किसी ने अपना हाथ
मेरे दामन पर
इस बार की दिवाली 
तुम भी आकर देखना
अपनी छत से मेरे आँगन में
इस बार की दिवाली 
मेरे दीपक की लौ भी सतरंगी होगी ।



Wednesday, 13 August 2014

बेवजह......

उफनते हुए बादलों के बीच
चमकती हुई बिजली की
धुँधली सी रोशनी में
देखी थी एक झलक 
उस फ़रेब की
गोया.... वो
फिर से मुझे लूटना चाहता हो
मैंने भी कह दिया आओ
मेरे दामन की सारी ख़ुशियाँ समेटकर
पहले ही ले जा चुके हो
अब यहाँ 
दर्द के सिवाय कुछ भी न पाओगे
बेवजह ख़ाली हाथ जाओगे....

सिर्फ़ पानी हूँ.....

ऐ हवा 
मुझे उनके बारे में कुछ बता
क्या उन्हे भी रहता है 
मेरा इंतज़ार... हर रोज़ 
सूरज की पहली किरण के साथ
क्या वो भी
आकाश के टूटते हुए तारे को देखकर
माँगा करते हैं मुझे 
अपनी दुआओं में
और फिर रात को 
नींद की आग़ोश में जाते-जाते
उदास बिस्तर की सिलवटों पर
उनकी आँखों से आँसू बनकर
मै ही छलकता हूँ
अगर ऐसा है तो जा ऐ हवा जा
उनके पास मेरा ये पैग़ाम पहुँचा
उनसे कहना.....
सारे जहाँ की ख़ाक छानकर
मैंने बस उनके दिल में ही जगह पायी है
मुझे इस तरह आँसूओं के रास्ते न निकालें
क्योंकि उनकी आँखों से निकलकर मैं
सिर्फ़ पानी हूँ ।।

Wednesday, 6 August 2014

माहियाँ......

माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू
मैं बनके बांवरिया उडंती फिरूँ ....
कहाँ लाज शरम मै भूल गई
तेरे रंग पिया मै घुल गई
तेरी जोगन मैं मेरा जोगी तूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू़......
बरसों से हूँ तकती राह तेरी
सून ले तो कभी तू आह मेरी
मेरी रूह तेरी हर साँस तेरी
हर लम्हा मुझे है आस तेरी
आजा के तुम्हारे साथ चलूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू....
क़तरा क़तरा मेरे अश्क़ों ने 
नदियों को समन्दर बना दिया
कुछ फ़ासले थे जो दरमियाँ 
मेरे ईश्क की आग ने मिटा दिया
अब आ मेरे हमदम आ भी जा
ऐसे न सता अब आ भी जा
अब अा भी जा २
एक और खलिस पूरी कर दे
मेरी माँग को सिंदूरी कर दे
ख़्वाहिश है मेरी बस इतनी सी 
तेरे साथ जिऊँ तेरे साथ मरूँ
माहियाँ तैनूँ लखदी अँखियाँ नू..

Tuesday, 24 June 2014

गाना

क्या है समा क्या है फ़िज़ा
कुछ ना ख़बर कुछ ना पता
हाँ मगर एक ख़ुमारी सी इस दिल में छा गयी है
एेसा कभी होता न था
ऐसा कभी सोचा न था 
दिल में दबी थी बातें जो वो लब पे आ गई है
हाँ मगर एक .........
इन वादियों में तेरी सदाएं हैं गूँजती 
छूकर तुझे हवाएँ बरसती हैं बूँद सी
गुज़री है इक क़यामत इक और आ गई है
हाँ मगर एक .........
मेरी सासों में है ख़ुशबू बस तेरे नाम की
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी ना मेरे काम की
थी रब से जो इबादत वो काम आ गई है
हाँ मगर एक .........
पलकें झुका के देखना मुझे तेरा बार-बार
करने लगी हैं घायल इस दिल को आर-पार
तु कहाँ से मेरे हाथ की लकीरों में आ गई है
हाँ मगर एक .........

नजर है सुनी सुनी




नज़र है सूनी-सूनी
देखे बिना तुझे,
मुझे कुछ ना सुझे
देखे बिना तुझे 
तु कहाँ है हमदम ले के मुझे भी चल
अब आ भी जाओ कटते नहीं हैं पल
मै रह ना पाऊँ देखे बिना तुझे 
नज़र है सूनी-सूनी......
थी मेरी खता क्या मुझसे जो रूठ गये
हमने साथ जो देखे, सपने वो टूट गये
मुझे कौन संभाले देखे बिना तुझे
नज़र है सूनी-सूनी.......
तुम मिल जाए मुझको खोने ना देंगे तुम्हें 
किसी और का अब तो होने ना देंगे तुम्हें 
मैं जी ना पाऊँ देखे बिना तुझे
नज़र है सूनी-सूनी......