चाहत मेरी भी थी तुमसे
और मुहब्बत तुम भी करते थे
इस बात से न मै बेखबर था
न ही तुम अन्जान
मगर जब चुन ही लिया है
तुमने कोई और हमसफ़र तो
मत सुनाओ मुझसे अपनी मजबूरियों का सबब
मैं जनता था
कि तुम मेरे साथ
इन कंटीले रास्तों पर चल नहीं पाओगे
बीच राह में मुझे तन्हा छोड़कर
कहीं और चले जाओगे
तुम चले तो गए
पर मैं तन्हा नहीं हुआ
मैं आज भी चीख-चीख कर कहता हूँ
तुम्हारी यादों से
कि चली जाओ मुझे छोड़कर
मुझसे दूर बहुत दूर बहुत दूर कहीं
मगर वो नहीं जाती
जानते हो क्यूँ
क्यूंकि बेवफा तुम थे
तुम्हारी यादें नहीं.
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