Tuesday 7 May 2024

गजल

इश्क जबसे  जवान हो गया यह 
क्या कहें हवा भी तूफान हो गया 
वफा करके भी हम बदनाम रहे 
वो गुसताखियां करके महान हो गया
कत्ल करके मेरा मासूमियत से 
देखो कैसे वो नादान हो गया 
चाहता जब भी है ठुकरा के चला जाता है 
जैसे मैं खेल का मैदान हो गया
कसूर किसको दूं 'सहर' तुम्हारे चक्कर में 
अब तो यह शहर भी शमशान हो गया

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