Tuesday 7 May 2024

गजल

हर घड़ी मुझको यह एहसास हुआ करता है 
तेरा वजूद मेरे साथ हुआ करता है 
मौत मिल जाए मुझे दूरियां तुमसे ना बढ़े 
रात दिन रब से मेरा दिल यह दुआ करता है 
अब तो बढ़ने लगे हैं कितने ही दुश्मन अपने 
अपनी राहों में देखो कौन धुंआ करता है 
कितनी बेचैन है धड़कन ये देखो ख्वाब में भी 
सिर्फ और सिर्फ तेरे साथ हुआ करता है 
जख्मों को भी मेरे अक्सर सुकून  मिल जाता है 
कोई चुपके से मेरा हाथ छुआ करता है 
मुझ में होकर भी मेरे होने का एहसास नहीं
बेरहम कैसा 'सहर' प्यार हुआ करता है

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