Tuesday 7 May 2024

गजल

सारी दुनिया को ही डुबोया है 
आज एक शख्स इतना रोया है 
उसकी धड़कन में अब है सांस नहीं 
समझ सब समझते हैं कि वह सोया है 
हजारों टुकड़ों में बिखरा पड़ा था मेरा वजूद 
उसने एक धागे में पिरोया है 
मैं उसका क्यों ना रहूं जिसकी सूनी आंखों ने
आज दामन मेरा भिगोया है 
अब ना जी पाएंगे 'सहर' बिना उसके एक पल 
बिछड़ के उसको मैंने जिंदगी को खोया है

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