तुम मेरे सांसों की इतनी करीब होकर भी
मुझसे इतनी दूर क्यों है
जमाने की बंधनों में बंध कर
मेरे पास ना आने के लिए मजबूर क्यों है
हर पल ढूंढती है
मेरी बेचैन दिखाएं तुम्हें
बेकरार होकर
आ जाओ किसी रोज चुपके से
तुम शमा बनकर
और रोशन कर दो
मेरी विरानियों को
मेरे पतझड़ हुए इस दुनिया को
महकाने के लिए
आ जाओ कभी
खुशबू बनकर
मुझे इंतजार है कयामत तक
हर पल सिर्फ तुम्हारा