Thursday, 9 May 2024

आ जाओ कभी

ए मेरी जिंदगी 
तुम मेरे सांसों की इतनी करीब होकर भी 
मुझसे इतनी दूर क्यों है 
जमाने की बंधनों में बंध कर 
मेरे पास ना आने के लिए मजबूर क्यों है 
हर पल ढूंढती है 
मेरी बेचैन दिखाएं तुम्हें 
बेकरार होकर 
आ जाओ किसी रोज चुपके से 
तुम शमा बनकर 
और रोशन कर दो 
मेरी विरानियों को 
मेरे पतझड़ हुए इस दुनिया को 
महकाने के लिए 
आ जाओ कभी 
खुशबू बनकर 
मुझे इंतजार है कयामत तक 
हर पल सिर्फ तुम्हारा

मेरे हमसफर

ऐ मेरे हमसफर 
कब तलक यूं ही 
तरसती निगाहों में ख्वाब बनकर
आते रहोगे और जाते रहोगे
कब आओगे मेरे पास 
मुझे कभी न छोड़कर जाने के लिए 
मेरी हर सफर में साथ-साथ चलने के लिए 
कब दोगे मुझे 
तन्हाइयों की धूप से बचने के लिए 
अपने पलकों की एक नर्म छांव 
हर आहट पर चौक कर देखता हूं 
कि शायद तुम हो 
तुम्हारी हर एक सांस 
दस्तक देती है मेरे दिल पर 
मजबूर करती है 
मुझे तुम्हारे पास आने को 
काश! मेरे पास भी 
चिड़ियों की तरफ पर होते
आ जाते हम भी 
सात समुंदर का फासला 
एक पल में उड़कर 
तुम्हारे पास 
और सिमट जाते 
तुम्हारी आगोश में 
हमेशा-हमेशा के लिए

रंगमंच

कितना बखूबी निभाया वह
 किरदार रंगमंच पर 
मुझे नायक बनाकर 
मेरी जिंदगी के साथ 
ऐसा लगा 
जैसे सब कुछ सच हो 
और मैं यकीन करता चला गया 
उसके हर लफ्जों पर 
जाने कब खो गया मैं उसमें 
जाने कैसे समा गया उसका वजूद मुझमें 
इस कदर जगा गई 
वह अपना एहसास मुझमें 
कि मुझे और किसी का ख्याल ही नहीं रहा 
और जब आंख खुली तो कोई नहीं था 
हजारों लाखों के बीच में 
मैं बिल्कुल तन्हा था 
जैसे कोई नुमाइश की चीज 
मेरी आंखों में आंसू थे 
और लोग तालियां बजा रहे थे 
सुकून था मुझे फिर भी 
चाहे मजबूर ही सही 
वह इस अभिनय को 
एक जीवंत रूप दे चुके थे 
फर्क सिर्फ इतना था 
कि उसका नायक मैं नहीं
कोई और था

गजल

साकिया मय तेरी नजरों से पिया जाएगा 
मौत आ जाए मगर फिर भी जिया जाएगा 
कुछ ना कहना जो तेरे पास में आ जाऊं अगर 
बात नज़रों से होगी लव को सिया जाएगा
अभी जी भर के पीला पीने से ना रोक मुझे 
कभी सोचेंगे कभी छोड़ दिया जाएगा 
अभी भुला दे मगर जब मैं चला जाऊंगा 
नाम मेरा तेरी महफिल में लिया जाएगा 
एक कयामत का दौर 'सहर' चला दे मुझ पर 
और फिर जो तू कहे बस वो किया जाएगा

Tuesday, 7 May 2024

गीत

तेरे मिलन की आस है अब भी 
मुझे तेरी तलाश है अब भी
जो मुझे हर घड़ी सताया था
अपनी राहों से भी हटाया था
वही क्यों सबसे खास है अब भी  
मुझे तेरी तलाश है अब भी
बड़ी शोहरत भी मिली , दुनिया में
सारी खुशियां भी,मिली दुनिया में
मगर ये दिल उदास अब है भी 
मुझे तेरी तलाश है अब भी
जिंदगी लग गई अब दांव पर भी
उम्र है आखिरी पड़ाव पर भी
दिल को तेरी ही प्यास है अब भी 
मुझे तेरी तलाश है अब भी

गजल

छोड़कर तनहा चले जाते हो तुम 
बेरहम इतने क्यों,हो जाते हो तुम 
नींद मेरी चैन भी तुम ले गए 
खुद सुकून की नींद सो जाते हो तुम 
जान निकलने लगती है उस पल मेरी 
कोई आंसू जब भी रो जाते हो तुम 
आखिरी ख्वाहिश है जी भर देख लूं 
क्यों जहां की भीड़ खो जाते हो तुम 
खत्म हो जाने दो हूं बंजर जमीन 
प्रेम के क्यों बीज बो जाते हो तुम

गजल

कुछ इस सदा से अपनी मंजिलें सवार हूं मैं 
उनकी जुल्फों के तले जिंदगी गुजारूं मैं 
थोड़ा शर्माना झिझकना वो रूठना उनका 
वो हो जब दूर उन्हे प्यार से पुकारूं मैं 
कसम खुदा की अगर साथ उनका मिल जाए 
कभी न फिर किसी से इस जहां में हारूं मैं 
कुछ घड़ी यूं ही मेरे सामने वो बैठे रहे 
उन्हें आंखों के रास्ते में रूह में उतारूं मैं