कुछ इस सदा से अपनी मंजिलें सवार हूं मैं
उनकी जुल्फों के तले जिंदगी गुजारूं मैं
थोड़ा शर्माना झिझकना वो रूठना उनका
वो हो जब दूर उन्हे प्यार से पुकारूं मैं
कसम खुदा की अगर साथ उनका मिल जाए
कभी न फिर किसी से इस जहां में हारूं मैं
कुछ घड़ी यूं ही मेरे सामने वो बैठे रहे
उन्हें आंखों के रास्ते में रूह में उतारूं मैं
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