ख्यालों के एहसास में
चाहता हूं उचक कर साहिल को छू लूं
कोशिश भी करता हूं
तो पांव फिसल जाते हैं
और हम दरिया में रह जाते हैं
हमारी सांसे ही शायद हमारा साथ न दें
पर एक उम्मीद ने दामन जो थाम रखा है
कोई तो आएगा मेरा भी सहारा बनकर
और उफनते हुए इस दिल का
किनारा बनकर
ढूंढता हूं मैं जिसे चांद और तारे में
सोचता काश कभी वो भी मेरे बारे में
कितनी ही ठोकरें खाई है इस जमाने में
कसर किसी ने भी छोड़ी न आजमाने
उम्र भर जख्म मिले
और हम तड़पते रहे
उनकी बस एक झलक के लिए तरसते रहे
सुकून मिल जाता मुझे गम नहीं होता कोई
कुछ न करता तो कोई आकर बस इतना ही कहे
आज से हम भी तेरे साथ रहे
आज से हम भी तेरे साथ रहे
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