बेरहम इतने क्यों,हो जाते हो तुम
नींद मेरी चैन भी तुम ले गए
खुद सुकून की नींद सो जाते हो तुम
जान निकलने लगती है उस पल मेरी
कोई आंसू जब भी रो जाते हो तुम
आखिरी ख्वाहिश है जी भर देख लूं
क्यों जहां की भीड़ खो जाते हो तुम
खत्म हो जाने दो हूं बंजर जमीन
प्रेम के क्यों बीज बो जाते हो तुम
No comments:
Post a Comment