कहां हो तुम अपने जख्मों के दर्द दे दो मुझे
हम उन्हें पलकों पर सजा लेंगे
तेरे हर रंजो गम उठा लेंगे
अब ये एहसास हुआ
मुझको तेरे जाने के बाद
कि मुझमें तुम ही तो रहते थे
मेरी जान बनकर
मेरी राहों में एक
जलता आशियां बनकर
तुझे समझ ना सका
भूल हो गई मुझसे
बरसती रहती है
आंखें मेरी तुम्हारे लिए
तरसता रहता है
बेताब दिल तुम्हारे लिए
ऐसा लगता है कि अब जी ना सकेंगे तुम बिन
बीती बातों को छुपाने के लिए अब शायद
लबों को सी न सकेंगे तुम बिन
अब तो आ जाओ
मेरी जिंदगी में आ जाओ
मुझको जो भी सजा देना हो
देने आ जाओ
दर्द भी होगा तो हम कुछ ना कहेंगे
तुमसे चाहे मिट जाएंगे
पर उफ ना करेंगे तुमसे
अब कभी कुछ ना कहेंगे तुमसे
अब कभी कुछ ना कहेंगे तुमसे
No comments:
Post a Comment