इश्क जबसे जवान हो गया यह
क्या कहें हवा भी तूफान हो गया
वफा करके भी हम बदनाम रहे
वो गुसताखियां करके महान हो गया
कत्ल करके मेरा मासूमियत से
देखो कैसे वो नादान हो गया
चाहता जब भी है ठुकरा के चला जाता है
जैसे मैं खेल का मैदान हो गया
कसूर किसको दूं 'सहर' तुम्हारे चक्कर में
अब तो यह शहर भी शमशान हो गया
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