सारी दुनिया को ही डुबोया है
आज एक शख्स इतना रोया है
उसकी धड़कन में अब है सांस नहीं
समझ सब समझते हैं कि वह सोया है
हजारों टुकड़ों में बिखरा पड़ा था मेरा वजूद
उसने एक धागे में पिरोया है
मैं उसका क्यों ना रहूं जिसकी सूनी आंखों ने
आज दामन मेरा भिगोया है
अब ना जी पाएंगे 'सहर' बिना उसके एक पल
बिछड़ के उसको मैंने जिंदगी को खोया है
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