ऐ मेरे हमसफर
कब तलक यूं ही
तरसती निगाहों में ख्वाब बनकर
आते रहोगे और जाते रहोगे
कब आओगे मेरे पास
मुझे कभी न छोड़कर जाने के लिए
मेरी हर सफर में साथ-साथ चलने के लिए
कब दोगे मुझे
तन्हाइयों की धूप से बचने के लिए
अपने पलकों की एक नर्म छांव
हर आहट पर चौक कर देखता हूं
कि शायद तुम हो
तुम्हारी हर एक सांस
दस्तक देती है मेरे दिल पर
मजबूर करती है
मुझे तुम्हारे पास आने को
काश! मेरे पास भी
चिड़ियों की तरफ पर होते
आ जाते हम भी
सात समुंदर का फासला
एक पल में उड़कर
तुम्हारे पास
और सिमट जाते
तुम्हारी आगोश में
हमेशा-हमेशा के लिए
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