अगर सुना दे तो दिल को करार आ जाए
मैंने तन्हाई के लम्हे गुजारे पतझड़ में
वो जो हंस दे तो खिजां में बहार आ जाए
प्यार दिल में ही किया पर जुबां से कुछ न कहा
मैं समझता था शायद उनको समझ आ जाए
अपने घर का भी पता भूल गया हूं मैं अब
वही दिखते हैं हर जगह तो हम कहां जाएं
उनके सजदे पे जो अरमान दिल में है मेरे
मुझे डर है कि उन्हें देख कर ना आ जाए
प्यार इस आप पर 'सहर' मैं उनसे करता रहा
शायद उनको भी कभी मुझपे प्यार आ जाए।
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