कोई और बहाना कर देते
तेरी राह से खुद हम हट जाते
एक बार इशारा कर देते....
समझा जो मेरे जज्बातों को
जज्बात से खेला क्यों मेरे
मन ही मन तुझको पूजा था
ईमान से खेला क्यों मेरे
मैं भूल नहीं सकता वह दिन
एक सदमा दिया था तूने मुझे
आंखों को मेरे तुम पढ़ ना सके
जब सोचा था कुछ कह दूं तुझको
मेरी बातों को तुम समझ सको
एक तोहफा जो मैं दे दूं तुझको
उम्मीद ना थी फिर जिसकी मुझे
तूने वो किया ऐसे क्यों किया
मुझे फिर भी तुमसे गिला नहीं
तूने जो किया अच्छा ही किया
लहजे ने किया तेरे ऐसा असर
मुझे होने लगी खुद से नफ़रत
ये चोट मुझे किस जगह लगी
कहीं और निशाना कर देते
तेरी राह से खुद हम हट जाते
एक बार इशारा कर देते....
इस बात की हमको थी ना खबर
कोई और था तेरे साथ अगर
क्या खोता तेरा,क्या जाता तेरा
यह बात भी हमसे कह देते
दुख होता नहीं मुझको फिर हम
कहीं और किनारा कर लेते
तेरी राह से खुद हम हट जाते
एक बार इशारा कर देते....
मुझे ऐसी मिली थी रुसवाई
क्यों भाने लगी अब तन्हाई
महसूस नहीं होती मुझको
वो बात जो मुझमें थी पहले
अब भूल गया हूं मैं सब कुछ
भूलती ही नहीं तेरी बातें
अब चाह नहीं कोई साथ रहे
अब चाह नहीं कोई पास रहे
अब चाहत है बस इतनी सी
मैं तन्हा रहूं बस तन्हा रहूं
जैसा तूने चाहा वैसा कहा
एक बार जरा सोच होते
इनकार के और भी रास्ते थे
कोई और बहाना कर देते
तेरी राह से खुद हम हट जाते
एक बार इशारा कर देते....
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