सावन के मौसम में
कहीं दूर-दूर तक मेरी कल्पनाओ ने
सोचा है,तुम्हें जिस रूप में..
अगर चाहते हो कि तुम्हें मैं भी ना देख पाऊं
तो आ जाना चुपके से किसी रोज
जब मैं गहरी नींद में रहूं
पर इतने करीब जरूर आना कि
मैं तुम्हारी सांसो को अपनी सांसो में
महसूस कर सकूं...
मैं बंद रखूंगा अपनी आखें
तुम्हारे आने से पहले
तुम्हारी ख्वाहिश में....
संसार की हर वेदनाओं को
सहने को तैयार मुझे इंतजार है
सिर्फ तुम्हारी एक स्नेहमयी स्पर्श की...
No comments:
Post a Comment