Friday, 19 April 2024

बेखबर लम्हा..

वो लम्हा कितना बेखबर होगा 
मेरे कंधों पर तेरा सर होगा 
कितनी खुशियां हमें दे जाएगा वो पल सोचो
चांद पर अपना एक घर होगा 
मेरे काधों पर तेरा सर होगा...
बहुत जलेंगे हमें देखकर दुनिया वाले 
जाने किस-किस पर क्या असर होगा 
मेरे काधों पर तेरा सर होगा...
मुझे क्यों लगता है कि तू ही सब कुछ मेरा
तुझसे कोई भी ना बेहतर होगा
मेरे काधों पर तेरा सर होगा...
मेरे हाथों में 'सहर' हाथ तेरा जब होगा
कितना दिलकश वो फिर सफर होगा 
मेरे काधों पर तेरा सर होगा...

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