हमें प्यार भी था उससे, उससे ही न कह पाए
चुप रहना भी मुश्किल था,कुछ कहना भी मुश्किल था
आंखों में नमी उसकी, मुझे सहना भी मुश्किल था
बस एक नजर हमने,देखी थी झलक उसकी
तन्हा ही गया आखिर,वह आया भी तन्हा था
चाहा था उसे रोकूं ,पर रोक नहीं पाया
जिस बात का डर था मुझे,अंजाम वही आया
जाता हूं जहां भी मैं,खलती है कमी उसकी
दिल भरता भी है आहे,उम्मीद लिए उसकी
आ जाए कहीं वो नजर,गुजरी है कई रातें
राहें उसकी तकते, थक जाती है ये आंखें
आ जाता तो मैं उसका,हर गम अपना लेता
मुझे ना हो फिर बिछड़े, सांसों में बसा लेता
यही चाह है मैं उसको, खुदा अपना बना लेता
हर ओर है एक सहरा, कोई फूल कहीं खिलता
उसे अपना बना लेते, एक बार तो वो मिलता
एक बार तो वो मिलता....
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