आंखों को न ऐसे बहने दे
चाहे जो भी हो दिल में तेरे
उल्फत का भरम अभी रहने दे
मैंने कभी तुमसे प्यार किया
जिसका तुमसे इजहार किया
तुमने खुलकर कभी हां न कहा
ना ही खुलकर इनकार कया
फिर दर्द मिला जो तुमसे मुझे
मुझको ही अकेले सहने दे
मुझे सिर्फ अकेले रहने दे
उल्फत का भरम अभी रहने दे...
यू लव अपना नहीं सी होती
एक पहल किसी से की होती
मेरे बारे में कुछ तो कहा होता
मेरी बात किसी से की होती
उम्मीदों के पत्ते हिल जाते
आशाओं की कलियां खिल जाती
यह बात उन्हीं से कह देते
हमे राह जहां से मिल जाती
कोई पहल कभी तो की होती
चाहत थी कमी कोई खल न सके
सांचे में मेरे तुम ढल ना सके
चाहा था तू मेरे साथ रहे
तुम साथ हमारे चल न सके
वह प्यार जिसे सब जान सके
तुम ऐसी मोहब्बत कर ना सके
ना जाने किससे डरते रहे
एक सच्ची मोहब्बत कर न सके...
तुम मुझसे मोहब्बत कर न सके....
No comments:
Post a Comment