Tuesday 23 April 2024

सच्ची मुहब्बत

अच्छे नहीं लगता अश्क मुझे 
आंखों को न ऐसे बहने दे 
पर दिल में तेरे चाहे जो भी हो 
उल्फत का भरम अभी रहने दे
मैंने कभी तुमसे प्यार किया 
जिसका तुमसे इजहार किया
तुमने खुलकर कभी हां न कहा 
ना ही खुलकर इनकार कया
फिर दर्द मिला जो तुमसे मुझे 
मुझको ही अकेले सहने दे 
मुझे सिर्फ अकेले रहने दे 
यू लव अपना नहीं सी होती 
एक पहल किसी से की होती 
मेरे बारे में कुछ तो कहा होता 
मेरी बात किसी से की होती
उम्मीदों का पत्ता हिल जाता 
आशाओं की कलियां खिल जाती 
यह बात उन्हीं से कह देते 
हमे राह जहां से मिल जाती 
कोई पहल कभी तो की होती 
चाहती कमी कोई खल न सके 
सांचे में मेरे तुम ढल ना सके 
चाहा था तू मेरे साथ रहे 
तुम साथ हमारे चल न सके
वह प्यार जिसे सब जान सके 
तुम ऐसी मोहब्बत कर ना सके 
ना जाने किससे डरते रहे 
एक सच्ची मोहब्बत कर न सके...
तुम मुझसे मोहब्बत कर न सके....


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