तुम्ही बता दो कि अब तेरे बिन रहूं कैसे
हर कोई उंगलियां उठाता है,
आजकल हर कोई सताता है
कभी साए से चौंक जाता हूं
और कभी आईना डराता है
जाने क्या हो गया है दिल को मेरे
जाने कैसा ख्यालआता है
चैन मेरा चुराता है बेशक
और नींदें उड़ा ले जाता है
रातें जगती हैं मेरी,सुबह जगा देता है
मेरे घर से ही मुझे दूर भगा देता है
है कितने जख्म मेरे दिल में,मैं कहूं कैसे
तुम ही बता दो कि अब तेरे बिन रहूं कैसे...
सोचता हूं जो यह तो रूह कांप जाती है
हादसा यह ना हो तुमसे मुझे बिछड़ना पड़े
हर एक पल तुम्हारी याद में फिर मरना पड़े
दिल की बस एक ही हसरत भरी सदा है यही
तेरे मिलने से जिंदगी ठहर सी जाएगी
तेरे बिछड़ने से शायद ये रह ना पाएगी
मेरी सांसों में तू बसी है जिंदगी बनकर
तेरी जुदाई की एक बात भी सहूं कैसे
तुम ही बता दो कि अब तेरे बिन रहूं कैसे...
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