वो कातिल निगाहें वो कातिल नज़र
दबी चाहतों को छुपाना भी मुश्किल और
इस दिल का आलम बताना भी मुश्किल
बहुत चाहता हूं कि कह दूं मगर
वो कातिल निगाहें वो कातिल नज़र....
तेरे दर से रुख अपना मोडू तो कैसे
तेरा हाथ आखिर मैं छोड़ू तो कैसे
नहीं मंजिलें हैं नया है सफर
वो कातिल निगाहें वो कातिल नज़र...
मुझे जख्म देकर सताने लगे हो
सुकूं चैन भी लेकर जाने लगे हो
सहर ये तेरी कैसी है रहगुजर
वो कातिल निगाहें वो कातिल नज़र....
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