Tuesday, 23 April 2024

एक आरजू

एक आरजू तुम्हें देखने की 
एक ख्वाहिश तुम्हें पाने की 
एक हसरत तुम्हारे साथ 
कुछ वक्त गुजारने की 
एक लम्हे की तलाश 
तुम्हारे जुल्फों तले,तुम्हारी गोद में 
सर रख कर सोने की
न जाने क्यों रहती है,हर वक्त मुझे
चाहता हूं कि लिखो कुछ तुम्हारे बारे में
लेकिन कलम बेजान सी हो जाती है 
और मुझे शब्द नहीं मिलते
काश कभी ऐसा होता 
किसी रोज तुम चुपके से आती 
मेरे दिल के पन्ने पर
शब्द बनकर खुश्बू की तरह बिखर जाती 
और बना देती मुझे भी एक कविता...

No comments:

Post a Comment