सबके लिए,खासकर तुम्हारे लिए
जो बचाती हो,अपना हर एक पल
बड़े सलीके से...
और इधर मैं...
न जाने क्यों पागलों की तरह
एक नाकाम सी कोशिश करता हूं
तुम्हारे उन पलों से कुछ पल चुराने की
शायद इस चाह में,कि तुम्हारे साथ गुजारे
कुछ पल,मुझे भी जीने के काबिल बना दे
मगर एक अजीब सी घुटन होती है मुझे
तुम्हारे उस एक पल के बिना
मुझे खुशी है जिस तरह से तुम
अपना हर वक्त बचा रही हो
लेकिन मुझे नजरंदाज़ करके कहीं ऐसा ना हो
कि तुम्हारे पास सिर्फ वक्त ही वक्त हो
और मैं दूर-दूर तक
उनमें कहीं रहूं ही नहीं...
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