Tuesday 30 April 2024

इंतजार

कितनी आस्था,से विश्वास से 
अपने मन के मंदिर में बिठाकर पूजता रहा, तुम्हें!
किसी देवता की तरह 
एक उम्र से महसूस कर रहा हूं  तुम्हारी खुशबू 
अपनी सांसों में
मुझे कल की तरह आज भी इंतजार है
तुम्हारी एक स्नेहमयी स्पर्श की 
बिल्कुल उसी तरह 
जैसे किसी पतझड़ को 
इंतजार रहता है 
सावन के एक बूंद की...

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