चांद सूरज अपने बाराती रहे
और बहारें फुल बरसाती रहे
हर तरफ शहनाइयां बजती रहे
यह जमी भी झूमकर गाती रहे
इस कदर खुशियां , हमारे साथ हो
दुख की हर एक ही,लहर जाती रहे
जब कभी घूंघट उठाऊं , मैं तेरा
तूं झुकाए पलकें , शरमाती रहे
सारे बंधन तोड़ कर आ जाऊंगा
जो तेरी मुझ तक सदा आती रहे
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