Saturday 27 April 2024

दिल से दूर कहीं

ले जाओ अपनी यादों को दिल से दूर कहीं 
और जीने दो चैन से मुझे भी
हर पल बेचैन होकर सोचता हूं 
सिर्फ तुम्हे!
क्यों सताते हो इस कदर मुझे 
क्यों रुलाते हो बेवजह
एक पल का सुकून मैं भी चाहता हूं 
ले जाओ अपनी यादों को दिल से दूर कहीं....
सुना था कि डर के आगे जीत है
मगर जितनी बार भी तुमने 
लोगों से डरने की बात की 
उतनी बार मैं हारता गया और
अपने अंदर बन रहे नासूर को
संजोता गया
फिर भी अगर तुम कहते हो कि 
वक्त आएगा कभी अपने मिलन का भी
तो मैं इंतजार करूंगा उस वक्त का 
अपनी आखिरी सांस तक 
लेकिन तब तक मेरी सांसे चलें
ले जाओ अपनी यादों को दिल से दूर कहीं....
नहीं निकलता अब कोई लब्ज़ मुझसे 
तेरी आवाज के बिना 
मुश्किल लगता है हर एक पल 
तुम्हारे साथ के बिना
मैं नहीं चाहता कि 
मेरी वजह से तुम बदनाम हो 
पर इसे तुम 
मेरा पागलपन समझो या दीवानगी
तुमसे मिलकर भूल जाता हूं 
के अपने बीच कोई और भी है 
और तुम ना चाहते हुए भी मेरा साथ देती हो
बहुत सितम किए हैं शायद मैंने तुम पर
जिसकी सजा खुद को दे रहा हूं 
तुम्हारे बगैर हर पल सालों की तरह गुजर रहा है 
इससे भी बड़ी कोई सजा है तो दे दो मगर
ले जाओ अपनी यादों को दिल से दूर कहीं....







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