रुठी रुठी सी है मंजिले हमसे क्यों
जिंदगी में मेरी आप आए नहीं
हाल दिल का मेरे आप समझे नहीं
इस नजर के इशारे को समझे नहीं
इस कदर रूठ कर आप जाने लगे
हम बुलाए मगर आप आए नहीं.
साथ मेरे कभी आप रहते नहीं
प्यार की भी कोई बात,करते नहीं
कैसे कर लूं यकीन आप मेरे हुए
मेरे सर की कसम आप खाए नहीं
दिल के जज्बात मुझमें ठहरते नहीं
लड़खड़ाए कदम गर संभलते नहीं
कैसे मैं मान लूं कि मैं मदहोश हूं
दिल पे बनके नशा आप छाए नहीं
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